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Author

गीता पांडे

अध्यापिका

शिक्षा में बढ़ती तकनीकी

Published on April, 23 2021

आज के युग को विज्ञान के युग की संज्ञा दी जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि आज विश्व विज्ञान के दृढ़ स्तंभ पर ही टिका है।विज्ञान ने मानव को अनेक प्रकार की शक्तियाँ, सुख-सुविधाएँ और उपकरण दिए है जिनके कारण काल  और स्थान की दूरियाँ मिट गई हैं।कहते हैं, आवश्यकता ही अविष्कार की जननी होती है।जब-जब मनुष्य को आवश्यकता महसूस हुई तब-तब अविष्कार हुए हैं।

समाज में विज्ञान और तकनीकी वाद-विवाद का विषय बन गए हैं। एक तरफ तो यह आधुनिक जीवन के लिए आवश्यक है, जहाँ अन्य देश तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर विकास कर रहे हैं, वहीं यह अन्य देशों के लिए भी आवश्यक हो जाता है कि, वे भी इसी तरह से भविष्य में सुरक्षा के लिए ताकतवर और अच्छी तरह से विकसित होने के लिए निरंतर वैज्ञानिक विकास करते रहे। ये विज्ञान और प्रौद्योगिकी ही है, जिन्होंने अन्य कमजोर देशों को भी विकसित और ताकतवर बनने में मदद की है।

मानवता के भले के लिए और जीवन के सुधार के लिए हमें हमेशा विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मदद लेनी होगी। तकनीकी ने शिक्षा में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है तकनीकी, शिक्षा का पर्याय बन गई है। विज्ञान और तकनीकी हमेशा से ही मानवता के भले और जीवन सुधार के लिए तत्पर हैं। यदि हम तकनीकों की मदद नहीं लेते; जैसे- कम्प्यूटर, इंटरनेट, बिजली, आदि तो हम भविष्य में कभी भी आर्थिक रुप से मजबूत नहीं होंगे और हमेशा पिछड़े हुए ही रहेंगे यहाँ तक कि इसके बिना हम आज के इस प्रतियोगी और तकनीकी संसार में जीवित भी नहीं रह सकते हैं।चिकित्सा, शिक्षा, अर्थव्यवस्था, खेल, नौकरियाँ, पर्यटन आदि विज्ञान और प्रौद्योगिकियों के उदाहरण है। ये सभी प्रकार की उन्नति हमें दिखाती हैं कि, कैसे दोनों हमारे जीवन के लिए समान रुप से आवश्यक है। हम अपनी जीवन-शैली में प्राचीन समय के जीवन के तरीकों और आधुनिक समय के जीवन के तरीकों की तुलना करके स्पष्ट रुप में अन्तर देख सकते हैं। उसी प्रकार शिक्षा में भी तकनीकी छात्रों के भविष्य को सुदृढ़ बनाने में सहायक है। शिक्षा के क्षेत्र में कंप्यूटर और मोबाइल तो एक वरदान बनकर सामने आया है।

शिक्षण में कम्प्यूटर आधारित शिक्षा तकनीकों का उपयोग भारत की प्रसिद्ध शिक्षा प्रणाली और संस्थानों द्वारा अपनाया गया है। शब्दों और प्रतीकों की विविधता कम्प्यूटर की महान शक्ति है जो शैक्षणिक प्रयास का केंद्र है। ई - लर्निंग और दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों में ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से शिक्षण अधिक रोचक और आसान हो रहा है। इंटरनेट तथा वर्ल्ड वाइड वेब के माध्यम से शिक्षक अपने विद्यार्थियों तक पहुँच सकते हैं और उनको घर बैठे पढ़ा सकते हैं। इंटरनेट मानव ज्ञान का एक उच्चतम संग्रह है। आई .सी .टी .डिजिटल पुस्तकालय जैसे डिजिटल संसाधनों के सृजन की अनुमति देता है, जहाँ विद्यार्थी, शिक्षक और व्यवसायी शोध सामग्री तथा पाठ्यक्रम सामग्री तक पहुँच सकते हैं। आई . सी . टी .शैक्षणिक संस्था के दिन प्रतिदिन के प्रशासनिक गतिविधियों को आसान और पारदर्शी तरीके से नियंत्रित करने तथा समन्वय और निगरानी के लिये अवसर प्रदान करता है।

प्रौद्योगिकी जीवन और समाज के हर पहलू को छू रही है। आजादी के बाद से, हमारे देश में तकनीकी शिक्षा प्रणाली काफी बड़े आकार की प्रणाली में उभरी है, जो देश भर में संस्थानों में प्रमाण पत्र , डिप्लोमा , डिग्री , स्नातकोत्तर डिग्री और डॉक्टरेट स्तर पर विभिन्न प्रकार के व्यापारों और विषयों में शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करती है।

शिक्षा अपने मूल में समाजीकरण की एक प्रक्रिया है. जब-जब समाज का स्वरूप बदला शिक्षा के स्वरूप में भी परिवर्तन की बात हुई. आज कोरोना संकट के दौर में ऑनलाइन शिक्षा के जरिये शिक्षा के स्वरूप में बदलाव का प्रस्ताव नीति निर्धारकों के द्वारा पुरजोर तरीके से रखा जा रहा है।

आज जब संपूर्ण विश्व कोरोनावायरस की वैश्विक महामारी से जूझ रहा है और समय एक स्थान पर रुक सा गया है वहीं पर तकनीकी के माध्यम से शिक्षा को आगे बढ़ाया जा रहा है कोरोना काल में जब लॉकडाउन हुआ तब एहतियातन स्कूल कॉलेज सब बंद कर दिए गए, जिससे बच्चों की शिक्षा में असर पड़ने लगा। छात्रों के भविष्य और शिक्षा पर ज्यादा असर ना हो इसलिए छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था की गई। ऑनलाइन शिक्षा तकनीकी का एक सर्वोत्तम उदाहरण बनकर सामने आई और वर्चुअल पढ़ाई छात्रों और अध्यापकों दोनों के लिए एक नई प्रैक्टिस बनकर उभरी। ऑनलाइन शिक्षा को कोरोना काल में एक मजबूरी के रूप में देखा जा रहा है। कह सकते हैं कि यह समय की मांग है। महामारी के दौरान शारीरिक दूरी बनाए रखने की स्थिति में ऑनलाइन शिक्षा ही ठीक रही है हालांकि इसकी फिजिकल स्कूल और क्लास से कोई तुलना नहीं है ऑनलाइन शिक्षा स्कूल कक्षा की जगह नहीं ले सकती है परंतु ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था वर्तमान समय में बहुत ही लाभकारी सिद्ध हुई है।

कोरोना संकट में शारीरिक दूरी बनाए रखकर शिक्षा के लिए तकनीकी का प्रयोग एक बात है। वैसे भी तकनीकी के विकास के साथ ही शिक्षा में भी उसका उपयोग होता रहा है। यह होना जरूरी भी है।

ब्लैकबोर्ड से लेकर स्मार्टबोर्ड तक बदलती तकनीकी का उपयोग क्लासरूम टीचिंग को मजबूत और रुचिकर बनाने के लिए किया जाता था है. लाइब्रेरी का डिजिटल होना उसी प्रक्रिया का एक रूप है।

प्रोफेसरों के व्याख्यान को रिकॉर्ड करना और उन्हें ऑनलाइन उपलब्ध कराना भी तकनीकी का उपयोग करना ही है। इन तकनीकों का उपयोग कर समाजीकरण की प्रक्रिया को शिक्षा के द्वारा बढ़ाया जाता रहा था।

तकनीकी जितनी हमारे लिए लाभदायक है उतनी ही घातक भी है।ऑनलाइन शिक्षा अक्सर बच्चे अपने घर पर अकेले ही रहकर लेते है जिसकी वजह से उनका आपस में मेल-जोल नही हो पाता जिसके कारण बच्चे टीचर के संपर्क में न आने के कारण जो व्यवाहरिक रूप से सीखते है वो नहीं सीख पा रहे है।

बच्चो को सीखने का एक माहौल नहीं मिल पाता और जो प्रतिस्पर्धा के कारण बच्चे आगे बढ़ने का प्रयास करते है वही ऑनलाइन में नहीं हो पाता। ऑनलाइन शिक्षा में स्कूल जैसा माहौल न होने से बच्चों का पढ़ाई में मन भी कम लगता है।आज ऑनलाइन शिक्षा होने के कारण अभिभावक इन्टनेट कनेक्शन के साथ लैपटॉप या मोबाइल अपने बच्चो को दे देते है।

कई बार बच्चे इसका गलत उपयोग करते है। कई बार अभिभावक इस बात पर ध्यान नहीं दे पाते और बच्चे क्लास के बहाने मोबाइल पर गेम खेलना, या अन्य ऑनलाइन एक्टिविटी में लग जाते है।

साथ ही यह सिर्फ एक तरफा अध्यापक बच्चो को पढ़ाता है, उसमे बच्चा ज़्यादा समय के लिए सम्मलित नही हो पाते जिससे उनका विकास होना संभव नही हो पाता। ऑफलाइन शिक्षक बच्चे को नैतिक शिक्षा प्रदान करता है जब कि ऑनलाइन शिक्षण में ऐसा होना संभव नहीं है। साथ ही बच्चों के आत्ममूल्यांकन, अनुशासन और उत्साह में कमी भी आ रही है और बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा हैं।

इस प्रकार हम कह सकते है कि ऑनलाइन शिक्षा में कई तरह के पहलु मौजूद है लेकिन साथ ही इससे हम यह नही कह सकते कि इस कोविड-19 के समय में ऑनलाइन शिक्षा ने बच्चो, शिक्षको को एक साथ जोड़े रखा है और शिक्षा संगठनों की काफी मदद की है जिससे शिक्षा का आदान प्रदान नहीं रुक पाया।

आज तकनीकी ने इतना विकास कर लिया है कि हम घर बैठे ही शिक्षा ग्रहण करने के साथ साथ कुछ भी कर सकते है। आज ऑनलाइन एजुकेशन ही एक ऐसा साधन बना हुआ है जिससे बच्चे अपने टीचर से लगातार संपर्क में है और बिना व्यवधान के अपनी पढाई को सुचारू रूप से चालू रखे हुए है।